Physics

Bharti Bhawan class 10 Short question chapter Electric Current ( विद्युत धारा )

10th Physics Solutions in Hindi

Bharti Bhawan Class 10 Short question chapter Electric Current ( विद्युत धारा )

Bihar Board Class 12 Science all subject Note and PDF

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. किसी बिंदु पर विद्युत विभव से आप क्या समझते हैं?

उतर – किसी बिंदु पर विद्युत विभव कार्य का वह परिमाण है जो प्रति एकांक (ईकाई) आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है।

2. विद्युत-धारा, विभवांतर एवम् प्रतिरोध की परिभाषा दे। इनके SI मात्रक भी लिखें।

उतर – विद्युत-धारा – किसी चालक पदार्थ में, किसी दिशा में दो बिंदुओं के बीच आवेश के व्यवस्थित प्रवाह को विद्युत-धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है।

विभवांतर – दो विभव के बीच के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका SI मात्रक वोल्ट है।

प्रतिरोध – किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध या केवल प्रतिरोध कहलाता है। इसका SI मात्रक ओम है।

3. किसी तार का प्रतिरोध 1 ओम है । इस कथन का क्या अर्थ है?

उतर – इसका अर्थ है कि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट का विभवांतर लगाने से चालक में 1 एम्पीयर की धारा प्रवाहित होती है तो उस चालक का प्रतिरोध 1 ओम के बराबर होता है।

4. किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है?

उतर – किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर सेल या बैटरी द्वारा बनाए रखा जा सकता है।

5. ओम के नियम को लिखकर इसकी व्याख्या करें।

उतर –ओम का नियम – यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है।

I = V/R 

जहां V दो सिरों के बीच का विभवांतर है, R चालक का प्रतिरोध है और I चालक में प्रवाहित विद्युत धारा का मात्रा है।

इस व्यंजक का यही मतलब है कि चालक तार में जितना धारा प्रवाहित किया जाएगा चालक के सिरों के बीच विभवांतर भी बढ़ेगा।

6. किसी परिपथ में कई प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जुड़ा कब कहते हैं?

उतर – निम्नलिखित परिस्थिति में प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जुड़ा कहते हैं –

(i) सभी प्रतिरोधों में एक ही धारा प्रवाहित होती है, परंतु उनके सिरों के बीच विभवांतर उनके प्रतिरोधों के अनुसार अलग अलग होता है।

(ii) समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से अधिक होता है।

(iii) किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिया जाने पर बचे हुए प्रतिरोधकों से प्रवाहित होनेवाली धारा शून्य हो जाएगी।

7. किसी परिपथ में कई प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में जुड़ा कब कहते हैं?

उतर – निम्नलिखित परिस्थिति में प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम(समांतरक्रम) में जुड़ा कहते हैं –

(i) सभी प्रतिरोधों के सिरों के बीच एक ही विभवांतर होता है, परंतु उनके प्रतिरोधों के मान के अनुसार उनमें अलग-अलग मान की धारा प्रवाहित होती है।

(ii) समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम होता है।

(iii) किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिया जाने पर बचे हुए अन्य प्रतिरोधकों से धारा प्रवाहित होती रहेगी।

(iv) पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में जुड़े हुए प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युतक्रम उन प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युतक्रमों के योग के बराबर होता है।

8. प्रतिरोध की उत्पत्ति का कारण क्या है?

उतर – किसी विधुत परिपथ में विधुत धारा का विरोध करने के लिए प्रतिरोध की उत्पत्ति होती हैं। प्रतिरोध तार की लंबाई, मोटाई, तार की ताप से भी प्रभावित होती है।

9. चालक और विधुतरोधी पदार्थों में क्या अंतर है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें।

उतर – बहुत कम प्रतिरोध वाले पदार्थ जिनमें से आवेश आसानी से प्रवाहित होता है, चालक कहे जाते हैं। जैसे – चांदी, तांबा इत्यादि। जबकि बहुत ही अधिक प्रतिरोध वाले पदार्थों को जिनसे आवेश प्रवाहित नहीं हो पाता, विद्युतरोधी कहे जाते हैं। जैसे- रबर, प्लास्टिक इत्यादि।

10. समान पदार्थ और समान लंबाई के तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो, तो इनमें से किसमें विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? इसका कारण भी बताएं।

उतर – मोटे वाले तार में विद्युत-धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होगी, क्योंकि चालक का प्रतिरोध उसके मोटाई पर भी निर्भर करता है, जितना अधिक तार मोटा होगा उतना उसका प्रतिरोध कम होगा, और जितना ही किसी चालक का प्रतिरोध कम होगा उसमें उतना ही आसानी विद्युत-धारा प्रवाहित होगी।

11. यदि किसी विद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है, तो उस अवयव से प्रवाहित होनेवाली विद्युत-धारा में क्या परिवर्तन होगा?

उतर – यदि प्रतिरोध नियत है, तो ओम के नियम से अवयव में प्रवाहित विद्युत-धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाति होती है। अतः विभवांतर को आधा करने पर विद्युत-धारा भी आधी हो जाएगी।

12. जब (a) 1 ओम तथा 10^6 ओम (b) 1 ओम,10^3 ओम तथा 10^6 ओम के प्रतिरोध पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में संयोजित किए जाते हैं, तो उनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?

उतर – (a) तुल्य प्रतिरोध 1 ओम से कम होगा (b)तुल्य प्रतिरोध 1 ओम से कम होगा।

13. 2V के चार सेलों से बनी एक बैटरी, 5 ओम, 8 ओम और 10 ओम के प्रतिरोधको और एक दाब कुंजी से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। इसका परिपथ आरेख खींचें।

उतर – इसका चित्र छात्र स्वयं बनावें।

14. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैधुत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?

उतर – श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैधुत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के लाभ यही है कि अगर किसी कारण वश कोई परिपथ का तार टूट जाता है तो भी वह परिपथ में धारा प्रवाहित होती रहेगी यानी वह विद्युत युक्ति काम करती रहेगी।

15. किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर उसमें ऊष्मा क्यों उत्पन्न होती है?

उतर – जब किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसमें इलेक्ट्रॉन का चलन होने लगता है जब इलेक्ट्रॉन चलते हैं तो कहीं न कहीं आपस में धनायनों आवेश से टकराते रहते हैं। और उन्हीं टकराने के कारण परिपथ में ऊष्मा उत्पन्न होती है।

16. विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव किन किन कारकों पर निर्भर करते हैं?

उतर – विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव निम्न कारकों पर निर्भर करते हैं- 

(i) परिपथ में प्रवाहित विद्युत-धारा (I) पर 

(ii) चालक पदार्थ के प्रतिरोध (R) पर

(iii) प्रवाहित होने वाली धारा के समय (t) पर

(iv) प्रतिरोध में दिय गए विभवांतर (V) पर

17. किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबधी जुल के नियम क्या है?

उतर – ब्रिटिश वैज्ञानिक जुल ने चालकों में विधुत धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा के संबंध में तीन नियम दिए हैं जिसे जुल के उष्मीय नियम कहते हैं जो निम्नलिखित है –

(i) किसी निश्चित समय t में किसी निश्चित प्रतिरोध R वाले चालक में उत्पन्न हुई ऊष्मा का परिमाण U उसमें प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा I के वर्ग के समानुपाती होता है।

(ii) किसी निश्चित प्रबलता की विधुत धारा I द्वारा निश्चित समय t में उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण, चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है।

(iii) किसी दिए गए चालक में एक ही प्रबलता की धारा भिन्न भिन्न समय तक प्रवाहित करने पर उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण, धारा प्रवाह के समय t के समानुपाती होता है।

18. विद्युत ताप-युक्तियों के मूल सिद्धांत क्या है?

उतर – विद्युत ताप-युक्तियों के मूल सिद्धांत यही होते हैं कि इससे होकर जानेवाली विधुत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में रूपांतरित कर उसके ऊष्मा ऊर्जा का घरेलू उपकरण में उपयोग किया जाए। इसमें एक तापन अवयव होता जो विद्युत ऊर्जा को उष्मीय ऊर्जा में बदलता है। तापन अवयव की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है जिससे कम धारा पर अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके और इसका गलनांक भी अत्यधिक उच्च होता है जिससे वह उच्च ताप पर भी गलता नहीं। 

19. विद्युत तापन-युक्तियों, जैसे ब्रेड-टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं?

उतर – विद्युत तापन-युक्तियों, जैसे ब्रेड-टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनकर किसी मिश्रधातु के बनाए जाते हैं ऐसा इसीलिए क्योंकि मिश्रधातु का  तापन अवयव की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है जिससे कम धारा पर अधिक ऊष्मा उत्पन्न होता है और इसका गलनांक भी अत्यधिक उच्च होता है जिससे वह उच्च ताप पर भी गलता नहीं है।

20. किसी विद्युत हीटर के परिपथ में जुड़ा चालक तार क्यों उत्तप्त नहीं होता, जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?

उतर – परिपथ में जुड़ा तार कम प्रतिरोधकता वाला होता है जैसे तांबा का तार प्राय: होता है जिससे उत्तप्त नहीं होता जबकि तापन अवयव बहुत अधिक प्रतिरोधकता का होता है, जैसे नाइक्रोम का तार जिससे उत्तप्त हो जाता है।

21. विद्युत-परिपथ में फ्यूज तार क्यों लगाए जाते हैं?

उतर –जब परिपथ में अचानक धारा की प्रबलता आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है तब हमारे घरों में लगे विद्युत उपकरणों जैसे बल्ब, पंखे, फ्रिज, टेलीविजन, मोटर आदि जले नहीं इसके लिए फ्यूज तार विद्युत परिपथ में लगाए जाते हैं जिससे अधिक धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार गाल जाता है और हमारे घर के उपकरण सुरक्षित बच जाते हैं।

22. फ्यूज की क्षमता से आप क्या समझते हैं?

उतर – विद्युत-धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुंचते ही फ्यूज गल जाता है उड़ जाता है उसे फ्यूज या फ्यूज तार की क्षमता कहते हैं। उदाहरण के लिए 5 A के फ्यूज का अर्थ यह है कि धारा की प्रबलता 5 A से बढ़ते ही फ्युज तार गल जाएगा।

23. यदि एक एमीटर को समांतरक्रम में जोड़ा जाय, तो उसकी कुंडली के जल जाने का खतरा होता है। क्यों?

उतर – यदि किसी अन्य युक्ति के साथ एमीटर को समांतरक्रम में जोड़ा जाय तो कम प्रतिरोध वाले युक्ति में अधिक विधुत धारा प्रवाहित होगी जो की एमीटर की बहुत ही कम प्रतिरोधकता होती है जिससे अधिकतर धारा एमीटर से होकर प्रवाहित होगी जिससे एमीटर की कुंडली अत्यधिक ऊष्मा पाकर जल जाने का खतरा बढ़ जाएगी।

 

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