विद्युत धारा के चुम्बकिए प्रभाव (Magnetic Effect of Electric Current)
यहाँ कक्षा 10 विज्ञान पुस्तक के मुक्त Subjective का संकलन है – विद्युत धारा के चुम्बकिए प्रभाव । छात्र नए परीक्षा पैटर्न में BSEB द्वारा जोड़े गए मुफ्त MCQ का अभ्यास कर सकते हैं । बहुविकल्पीय प्रश्नों के अंत में , आपके संदर्भ के लिए उत्तर कुंजी भी प्रदान की गई है।
- फ्यूज कैरियर क्या होता है?
उत्तर-यह चीनी मिट्टी का एक खोल होता है जिसमें ताँबे के दो प्वाइंट होते हैं। इन दोनों को फ्यूज की तार द्वारा जोड़ देते हैं। इस खोल को फ्यूज कैरियर कहते हैं।
- विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर-जब किसी कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है, तो कुंडली पर एक बल युग्म कार्य करने लगता है जो कुंडली को उसके अक्ष पर घुमाने का कार्य करता है।
- चुम्बकीय क्षेत्र का मान किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-(i) चालक में प्रवाहित धारा के मान पर,
(ii) चालक के बिन्दु की दूरी पर,
(ii) कुंडली के लपेटों की संख्या पर।
- गैल्वेनोमीटर किसे कहते हैं?
उत्तर-गैल्वेनोमीटर एक ऐसा उपकरण है, जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।
- प्रत्यावर्ती धारा किसे कहते हैं?
उत्तर-ऐसी विद्युत धारा जो समान काल अन्तरालों के पश्चात् अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है, उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।
- चुम्बकीय क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर-किसी चुम्बक के आस-पास के क्षेत्र में चुम्बक के आकर्षण या विकर्षण का प्रभाव जहाँ तक दिखाई देता है उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।
- कुछ ऐसी युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए
उत्तर-विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटरों, MP 3 प्लेयरों आदि में किया जाता है।
- कोई दो बल रेखाएँ आपस में एक-दूसरे को क्यों नहीं काटती हैं?
उत्तर—कोई दो बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटती हैं। यदि वह काटे तो इसका तात्पर्य होगा कि कटान बिन्दु के उत्तरी ध्रुव पर लगा परिणामी बल दो दिशाओं में होगा जो कि असम्भव है।
- विद्युत की शक्ति किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर-(i) विद्युत धारा की शक्ति पर, (ii) कुंडली में तारों की लपेटों की संख्या पर, (iii) चुम्बक के रूप में।
- विद्युत-धारा क्या है? इसका मान एवं SI, मात्रक लिखें।
उत्तर:- विद्युत आवेश प्रवाह की समय के दर को विद्युत-धारा कहते हैं।
अर्थात्, धारा = आवेश/समय
या,
\[ i=\frac{q}{t} \]
जहाँ i = विद्युत-धारा, q = आवेश तथा t = समय .. .इसका SI. मात्रक ऐम्पियर (A) है। यह एक अदिश राशि है।
- घरेलू विद्युत परिमयों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर–अतिभारण से बचाव के लिए प्रमुख सावधानियाँ इस प्रकार हैं(i) विद्युत प्रवाह के लिए प्रयुक्त की जाने वाली तारें अच्छे प्रतिरोधन पदार्थ से ढंकी होनी चाहिए। (ii) विद्युत परिपथ विभिन्न वर्गों में बंटा होना चाहिए और प्रत्येक साधित्र का प्रयुज होना चाहिए। (iii) उच्च शक्ति प्राप्त करने का एयर कंडीशनर, फ्रिज, वाटर- हीटर, हीटर-प्रेस आदि का एक साथ प्रार नहीं करना चाहिए। (iv) एक ही सॉकेट से बहुत से विद्यत साधित्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- किसी धुबकीय क्षेत्र में स्थित वियत धारावाही चालक पर आरोपित बाल कब अधिकतम होता है?
उत्तर :- किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है, जब विद्युत धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है।
- मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी दीवार से
लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार के सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आप के दायीं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर-फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा, चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत धारा दोनों की दिशाओं के लंवबत् होती है। विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति की दिशा के विपरीत होती है। इसलिए चुंबकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।
14, विभव क्या है? इसका मात्रक लिखें।
उत्तर:— इकाई धन आवेश को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक ले जाने में जितना कार्य करना पड़ता है, उसे उस बिन्दु पर का विभव कहते हैं। इसका SI. मात्रक वोल्ट (V) है। यह एक अदिश राशि है।
- चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित क्यों हो
उत्तर:–दिक्सूचक की सूई एक छोटा छड़ चुंबक होती है, जिसके दोनों सिरे उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। चुंबक के विपरीत सिरे एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं और इसी कारण समान सिरे विकर्षित करते हैं। किसी चुंबक के निकट लाने पर उसका चुंबकीय बल, चुंबकीय सूई के ध्रुवों पर बल लगाता है। इसीलिए दिक्सूचक की सूई विक्षेपित हो जाती है। फलतः दिक्सूचक का उत्तरी सिरा चुंबक के दक्षिणी सिरे की तरफ तथा दक्षिणी सिरा उत्तरी सिरे की ओर घूम जाता है।
- किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
अथवा, लघुपथन क्या है?
उत्तर:– किसी विद्युत यंत्र में जब धारा कम प्रतिरोध से होकर प्रवाहित हो जाती है तो उसे लघुपथन कहते हैं। इस स्थिति में किसी परिपथ में विद्युत धारा अचानक बहुत अधिक हो जाती है। तब विद्युत पथ में विद्युन्मय तार उदासीन तार के संपर्क में आ जाती है जो प्रतिरोध के शून्य हो जाने के कारण ऐसा होता है। लघुपथन के कारण आग लग सकती है और विद्युत पथ में लगे उपकरण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। छूने पर जोर का विद्युत आघात भी लग सकता है। इससे बचने के लिए विद्युत फ्यूज का प्रयोग किया जाना चाहिए। 17. विद्युत शक्ति क्या है? इसका S.I. मात्रक लिखें।
अथवा, विद्युत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उत्तर:-किसी चालक से प्रवाहित विद्युत-धारा की प्रबलता उस चालक के किसी अनुप्रस्थ काट से एकांक समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है। यदि 1 सेकण्ड में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है तो उस अनुप्रस्थ काट से प्रवाहित धारा का मान 1 ऐम्पियर होता है। । अर्थात,
\[1A=\frac{1C}{1s}Amp\]
A एंपियर, विद्युत-धारा का SI मात्रक है।
- चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर-(i) ये रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से शुरू होती हैं और दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं । ये रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं।
(ii) ये रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटतीं।
(iii) जहाँ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक निकट होती हैं वहाँ चुंबकीय बल की प्रबलता होती है।
- परिनालिका का स्वचा नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर-परिनालिका का स्वच्छ नामांकित चित्र इस प्रकार है
20, समानांतर श्रेणी में सयोजित दो प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करे
उत्तर—माना प्रतिरोध 2Ω है।
सूत्र से
\[ \begin{align} & \frac{1}{R}=\frac{1}{{{R}_{1}}}+\frac{1}{{{R}_{2}}}=\frac{1}{2}+\frac{1}{2}=\frac{1+1}{2}=\frac{2}{2}=1\Omega \\& \\ \end{align}\]
अतः सामान्तर श्रेणी में संयोजित दो प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध 1 ओम
होगा। .
- किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय रेखाएँ खींचिए।
उत्तर–चुम्बकीय बल रेखा चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित ऐसा वक्र पथ है जो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करता है, अर्थात् वह उस दिशा को निर्दिष्ट करता है जिस ओर वहाँ रखा कोई उत्तर ध्रुव गमन करता है।
चित्र : किसी छड़ चुंबक के चारों ओर क्षेत्र रेखाएँ
- परिनालिका में लपेटों की संख्या बढ़ाने पर इसकी चुम्बकीय शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर–परिनालिका में लपेटों की संख्या बढ़ाने पर परिनालिका की चम्बकीय शक्ति बढ़ जाती है। इसी चुम्बकीय शक्ति के कारण मृदु आयरन के टुकड़ों को चुम्बकीयकृत किया जा सकता है। .
- हमारे देश में 220 V की विद्युत धारा घरों में प्रयोग के लिए दी जाती
है. जबकि अमेरिका जसे विकसित और अमीर देशों में यह 110V की होती है। क्यों ? पर जब कोई व्यक्ति 220 V की विद्युत धारा को ले जाने वाली तार सेठ जाता है, तो उसकी मृत्यु हो सकती है या वह बुरी तरह जल सकता
होती। कम वोल्टेज पर दी जाने वाली विद्युत है। 110 V पर यह घातक नहीं होती। कम वोल्टेज पर दी जा में संचार ह्रास बहुत आ
पास बहुत अधिक होता है। इसके लिए बहुत बड़ी संख्या में सफार्मर लगाने पड़ते हैं, जो आर्थिक दृष्टि से अविकासशील देशों के कठिन कार्य है। इसके लिए लम्बी योजनाओं की आवश्यकता होती है |
- प्रत्यावर्ती भारा (AC) और दिष्ट धारा (DC ) में कौन सी अधिक उपयोगी है और क्यों?
उत्तर—प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट, धारा के मुकाबले अधिक क्योंकि-(i) उसे उत्पन्न करना आसान होता है। (ii) यह पर (ii) यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।
- विद्युत आपूर्ति में लपवन और अतिभारण से क्या,तात्पर्य है ?
उत्तर-(1) लघुपधन (Short Circuiting)…यदि किसी प्रकार तथा ऋणात्मक तार सम्पर्क में आ जाते हैं, तो विद्युत परिपथ लगभग नगण्य हो जाता है और परिपथ में धारा अत्यधिक बढ़ जाती है लघुपथन कहते हैं। इसके कारण चालक तार अत्यधिक गर्म हो जाता इससे आग भी लग सकती है। इससे होने वाली क्षति से बचने के लिए में फ्यूज का प्रयोग अवश्य किया जाता है।
(ii) अतिभारण-सभी जगह प्रयुक्त होने वाली विद्युत तारों की कि क्षमता होती है। जब कभी अनेक उपकरणों को एक साथ पयन ही तार से अधिक मात्रा में विद्युत धारा प्राप्त की जाती है तो उस तारी निर्धारित क्षमता से अधिक काम लेने के कारण वह गर्म हो जाती है और न ऊपर सुरक्षा के लिए लगी प्लास्टिक पिघल जाती है जिसके कारण शॉ सर्किट होने का भय रहता है।
26, जनरेटर तथा ट्रांसफार्मर में क्या अन्तर है?
उत्तर-जनरेटर तथा ट्रांसफार्मर में अन्तर इस प्रकार हैं
जनरेटर |
ट्रांसफार्मर |
(i) यह विद्युत उत्पन्न करता है। (ii) यह घूमने वाली मशीन है। (iii) यह AC तथा DC दोनों प्रकार की धारा उत्पन्न करता है। (iv) इसके द्वारा विद्युत उत्पन्न करने | से पहले टरबाइनों द्वारा घुमाया |
(i) ट्रांसफार्मर विद्युत की वोल्टता को परिवर्तित करता (ii)यह स्थिर मशीन है। |(ii) ट्रांसफार्मर केवल AC धारा परिवर्तित करता है। (iv )इसे किसी के द्वारा घुमाया नहीं जाता है। जाता है।
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- बिजली के उपकरणों में तीन मुँह वाला प्लग क्यों लगाना चाहिए?
उत्तर-तीन मुँह वाले प्लग की सबसे मोटी पिन के द्वारा उपकरण की धातु का ढाँचा भूमि के सम्पर्क में आ जाता है। इससे बिजली का झटका लगन की सम्भावना कम होती है। इसलिए बिजली के उपकरणों में तीन मुंह वाला प्लग लगाना चाहिए।
28, ट्रांसफार्मर से क्या अभिप्राय है? ट्रांसफार्मर किस काम में लाए जाते है।
उत्तर-ट्रांसफार्मर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम अथवा अधिक किया जा सकता है। जो ट्रांसफार्मर विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं, उन्हें उपचयी टांसफार्मर तथा जो वोल्टता में कमी करते हैं उन्हें अपचयी ट्रांसफार्मर कहते हैं। पावर स्टेशनों पर अपचयी ट्रांसफार्मर लगे होते हैं, जो विद्युतधारा का वोल्टता में वृद्धि करते हैं इससे अधिक वोल्टता की विद्यत धारा को एक स्था से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। शहरों में उप-बिज घरों में अपचयी वोल्ट तथा कारखानों में 440 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा जाती है।
- विधुत आवेश क्या है? इसके कितने प्रकार है।
उत्तर—विद्युत आवेश कण का वह गुण है, जिसके कारण दूर से ही दो कण एक-दूसरे पर आकर्षण (attraction) या विकर्षण (repulsion) का आकर्षण एवं विकर्षण दो तरह का होता है-विधुत आवेश भी दो तरह के हैं-धनावेश (+) या ऋणावेश (-) समान आवेशों में विकर्षण तथा असमान आवेशों में आकर्षण होता है।
- शॉर्ट सर्किट से बचने के लिए कोई चार सावधानियां बताएं। कोई ऐसी
युक्ति की भी व्याख्या करें जिसके प्रयोग से इससे सुरक्षा हो सके।
उत्तर:–सावधानियाँ-(i) स्विचों के जोड़ों का सम्पर्क कसे हुए रखना चाहिए। (ii) यदि शॉर्ट सर्किट हो जाए या शॉर्ट लग जाए तो तुरन्त ही मुख्य स्विच को बन्द कर देना चाहिए। (iii) प्लग तीन पिनों वाला होना चाहिए, क्योंकि सबसे मोटी पिन उपकरण का सम्पर्क भूमि से कर देती है। (iv) किसी नंगी तार को छूना नहीं चाहिए। (v) यदि उपकरण कार्य न करे, तो उसके दोषों का पता लगाओ जिसके कई कारण हो सकते हैं जैसे—फ्यूज उड़ जाना आदि। . सुरक्षा यक्ति–फ्यूज सुरक्षा की यक्ति है।
31, फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम क्या है?
अथवा, विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव से सम्बन्धित दक्षिण-हस्त अंगूठा का नियम लिखें।
उत्तर:–फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम से चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् गतिमान चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात की जाती है। इस नियम के अनुसार, यदि हम दाएँ हाथ का अंगूठा तथा इसके पास वाली अंगुलियों को एक साथ इस प्रकार फैलाएँ की तीनों परस्पर एक-दूसरे पर लम्बवत् हो। तब यदि पहली ऊँगली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा को प्रदर्शित करे, तो बीचवाली ऊँगली चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करेगी।
- चालक का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
(1) चालक की प्रकृति पर कुछ चालक पदार्थ में प्रतिरोधक क्षमता
होता है और कुछ में कम। जैसे—ताँबा में लोहे की अपेक्षा कम षक क्षमता होती है।.
(ii) चालक की लम्बाई पर–चालक की लम्बाई बढ़ने से प्रतिरोध का मान बढ़ता और घटने से घटता है।
R α l जहाँ R, चालक का प्रतिरोध तथा लम्बाई है।
(iii) चालक की मोटाई पर चालक का प्रतिरोध उसकी मोटाई का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
\[R\alpha \frac{1}{S}\]
जहाँ s चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (मोटाई) है।
(iv) ताप पर—ताप बढ़ने से चालक का प्रतिरोध बढ़ता है।
33. प्रतिरोध क्या है? इसका SI. मात्रक लिखें।
09A उत्तर–किसी चालक का वह गुण जिसके कारण वह विद्युत-धारा के प्रवाह का विरोध करता है, इस गुण को प्रतिरोध कहते हैं।
विभवान्तर/धारा = प्रतिरोध, अर्थात् V/I = R प्रतिरोध है।
प्रतिरोध का मात्रक वोल्ट/ऐम्पियर = ओम (Ω) होता है।
- सेलों का आन्तरिक प्रतिरोध कम रहने पर उन्हें किसमें जोड़ने पर – अधिकतम धारा मिलेगी? प्राप्त धारा के लिए व्यंजक दें।
उत्तर-यदि n सेलों, जिनमें प्रत्येक का विद्युत वाहक बल E तथा आन्तरिक प्रतिरोध । है, को श्रेणीक्रम में बाह्य प्रतिरोध R के साथ जोड़ा जाता
है, तो बाह्य प्रतिरोध में प्राप्त धारा $\[ I=\frac{nE}{R+nr}\]$ होती है।
यदि कुल आन्तरिक (nr), बाह्य प्रतिरोध R से काफी कम हो, तो R की तुलना में nr को नगण्य माना जा सकता है।
\[\therefore I=n\bullet \frac{E}{R}\]
अर्थात् प्राप्त धारा = nx एक सेल से प्राप्त धारा। . अतः यदि आन्तरिक प्रतिरोध काफी कम हो, तो श्रेणीक्रम संयोजन करना लाभप्रद होता है।
- विद्युत धारा का चुम्बक पर प्रभाव सम्बन्धी ऑस्टेंड के प्रयोग का
सचिन वर्णन करें।
उत्तर-जब किसी चालक से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, इसे विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहा जाता है। – ऑस्टैंड महोदय ने विद्युतधारा का चुम्बकीय प्रभाव दर्शाने के लिए
लकड़ी के दो स्तम्भ लेकर उससे तार लगाकर उसके सिरों को सेल और स्विच से जोड़ दिया।तार के पास चुम्बकीय सूई लाने पर उसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन जब सेल के द्वारा तार से धारा प्रवाहित होती है तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
- किसी कंडली में विणत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के ढंग इस प्रकार हैं
(i) चुंबक को कुंडली के भीतर या बाहर गति करने से। (ii) कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा में परिवर्तन करने से।
- शॉर्ट-सर्किट किसे कहते हैं? फ्यूज तार परिपथ में क्यों लगाये जाते
उत्तर-वह सर्किट जिसमें अचानक किसी कारण से धारा का प्राबल्य बढ़ जाए और परिपथ में लगी युक्तियाँ, जल जाएँ, उस सर्किट (परिपथ) को शॉर्ट-सर्किट कहते हैं।
फ्यूज तार सुरक्षा की एक युक्ति है। विद्युत परिपथों में अचानक धारा का मान अतिभारण और लघुपथन के कारणों से अत्यधिक बढ़ जाने से परिपथ में लगी युक्तियाँ जलकर नष्ट हो सकती हैं। ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए परिपथ में जहाँ-तहाँ फ्यूज श्रेणी में संयोजित किये जाते हैं। फ्यूज ऐसे पदार्थ के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब कभी धारा अत्यधिक बढ़ जाती है, तो सबसे पहले फ्यूज गर्म होकर गल जाता है और परिपथ टूट जाता है, जिससे उसमें लगी युक्तियाँ यथा बल्ब, पंखे, हीटर आदि जलने से बच जाते हैं। चित्रानुसार फ्यूज प्रदर्शित है।
- छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि-
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए,
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए,
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए।
उत्तर-(i) जब छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए तब चालक पर लगाया गया बल बढ़ जाएगा। इसलिए छड़ का विस्थापन बढ़ जाएगा।
(ii) जब अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए, तब चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव बढ़ जाता है, जिस कारण छड़ पर लगा बल और छड़ का विस्थापन दोनों बढ़ जाते हैं।
(iii) जब छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाती है तो बल में भी वृद्धि हो जाती है। .
- विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर-विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर आधारित विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत है जब एक कुंडली को चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है, तो कुंडली में से गुजरने वाले चुंबकीय क्षेत्र-रेखाओं में परिवर्तन होता है, जिसके कारण कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।
- दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती?
उत्तर-चुंबकीय सूई सदा एक ही दिशा की ओर संकेत करती है। यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करें तो इसका अर्थ होगा कि प्रतिच्छेद बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हैं और दिक्सूची ने दो दिशाओं की ओर संकेत किया है, जो संभव नहीं है। इसलिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को कभी प्रतिच्छेद नहीं करतीं।
- मेड के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। हामिणा-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर संबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर–जब मेज के तल पर तार का वृत्ताकार पाश पडा हो अंतर चंबकीय क्षेत्र तल के लंबवत् ऊपर से नीचे की तरफ होगा
पाश के बाहर चुंबकीय क्षेत्र लंबवत् नीचे से ऊपर की ओर होगा।
- किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एक समान हैं। इसे निकली के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर यदि चुंबकीय क्षेत्र एक समान हों, तो इसे समान दरी समानांतर रेखाओं से निरूपित किया जाएगा।
- प्रत्यावर्ती धारा क्या है?
उत्तर-ऐसी धारा जिसका परिमाण तथा दिशा समय के साथ बदलती रहती है, प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है।
- विद्युत बल्व में निष्क्रीय गैस भरी जाती है, क्यों?
उत्तर-निष्क्रिय गैस भरने से इसका टंग्स्टन तंतु नहीं जलता है। नाइट्रोजन, आर्गन इत्यादि निष्क्रिय गैस हैं। निष्क्रिय गैसों में तंतु का वाष्पीकरण नहीं हो पाता है अतः बल्ब की जीवन क्षमता बढ़ जाती है।
- विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं? दो ऐसी युक्तियों के
नाम बताएं जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करती हैं।
उत्तर-जब किसी कुण्डली के भीतर चुम्बकीय बल क्षेत्र बढ़ता है या
तथा घटने दोनों ही क्रम में कुण्डली में विद्युत वाहक-बल प्रेरित होते हैं। बढ़ने के क्रम में प्रेरित वि. वा. बल की जो दिशा होती है, वह घटने के क्रम में प्रेरित वि. वा. बल की दिशा के विपरीत होती है। विद्युत बल प्रेरण की ऐसी ही घटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।
- पृथ्वी एक छड़ चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है, क्यों?
उत्तर-पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र ऐसा होता है जैसे इसके भीतर एक बहुत बड़ा चुम्बक है। इसका दक्षिणी ध्रव कनाडा के उत्तरी गोलार्द्ध में । उत्तरी अक्षांश और 96° पश्चिमी रेखांश पर है। यह उत्तरी- ध्रुव से लगभग 1600 किमी दूर है। इससे गुजरता क्षैतिज तल भूगोलीय मीटिडियन कहला है। उत्तर और दक्षिण से गुजरता हुआ चम्बकीय मीटिडियन के नाम से जाता है। अतः यह एक छड़ चुम्बक की भाँति कार्य करती है। तभी चुम्व सूई N – S दिशा प्रदर्शित करती है।